54 की उम्र में बना शासक फिर भी खड़ा कर दिया एक विशाल साम्राज्य | आइये जानते हैं कौन था वह महान शासक |

Post Update: सितंबर 02, 2025

शेरशाह सूरी: साहस, बुद्धिमत्ता और न्याय की अमर कहानी

कल्पना कीजिए —भारत का मैदान, जहां हर कोने में युद्ध की गूँज सुनाई देती है। लोग डर और असमंजस में घिरे हुए हैं, और अचानक एक ऐसा नेता सामने आता है जो सिर्फ अपने साहस, बुद्धि और न्यायप्रियता के दम पर इतिहास बदल देता है। यही थे शेरशाह सूरी।

इतिहास में कई शासक आए और गए, लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनकी कहानी सुनकर आज भी हर व्यक्ति अपने अंदर साहस और आत्मविश्वास महसूस करता है। शेरशाह सूरी का जीवन ऐसा ही है—एक आम से परिवार में जन्मे लड़के से लेकर पूरे भारत का न्यायप्रिय और दूरदर्शी शासक बनने तक का सफर।

बचपन: संघर्ष से बनी वीरता

शेरशाह सूरी का असली नाम था फरीद खान। उनका जन्म 1486 ईस्वी में बिहार के छोटे गाँव में हुआ। उनके परिवार की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। लेकिन फरीद में बचपन से ही साहस, बुद्धि और नेतृत्व के गुण थे।

कहते हैं कि जब गाँव के बच्चे किसी काम से डरते, फरीद हमेशा आगे बढ़कर दूसरों को हिम्मत देता। गरीब था, लेकिन उसकी आँखों में एक असामान्य आत्मविश्वास और लक्ष्य प्राप्ति की आग थी। उसने कभी गरीबी को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया।

शिक्षा और तैयारी

फरीद ने केवल किताबों की पढ़ाई तक ही सीमित नहीं रहे। उन्होंने युद्ध और रणनीति में भी महारत हासिल की। उनका मानना था कि सिर्फ ताकत से जीत संभव नहीं है, बुद्धि और योजना से ही बड़ी चुनौतियाँ पार की जा सकती हैं।

गुरुओं ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें सेना और प्रशासनिक कला की शिक्षा दी। जल्दी ही फरिद खान ने अपने साहस और नेतृत्व की क्षमता से सबका ध्यान आकर्षित किया।

वीरता और युद्ध कौशल

जैसे-जैसे फरीद बड़ा हुआ, उसने कई युद्ध लड़े और उनमें विजय प्राप्त की। उनकी सबसे प्रसिद्ध लड़ाइयों में से एक थी पानीपत और भागलपुर के युद्ध, जिसमें उन्होंने छोटे संसाधनों और सीमित सेना के बावजूद बड़े दुश्मनों को मात दी।

1540 ईस्वी में, उन्होंने मुगल बादशाह हुमायूँ को हराकर दिल्ली और आगरा पर कब्जा किया। इस विजय के बाद फरीद खान को शेरशाह सूरी कहा गया।

न्यायप्रिय शासन और दूरदर्शिता

शेरशाह केवल एक योद्धा नहीं थे। वे न्यायप्रिय और दूरदर्शी शासक भी थे। उनका विश्वास था कि राजा का पहला कर्तव्य अपनी प्रजा की सुरक्षा और भलाई है।

उन्होंने कर प्रणाली सुधारकर किसानों और गरीबों के अधिकार सुरक्षित किए। उन्होंने भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया। उनके शासन में प्रशासनिक अनुशासन और नियमों का पालन सर्वोपरि था।

उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक थी ग्रैंड ट्रंक रोड का निर्माण। यह सड़क भारत के पूर्व से पश्चिम तक फैली और व्यापार, यात्रा और सेना की गति को बढ़ावा दिया।

शिक्षा और विज्ञान में योगदान

शेरशाह सूरी ने शिक्षा और विद्या का भी बहुत महत्व समझा। उन्होंने अपने दरबार में विद्वानों और शिक्षकों को प्रोत्साहित किया। उनका मानना था कि समाज का विकास शिक्षा और विज्ञान के बिना संभव नहीं है।

सैनिक प्रशिक्षण और अनुशासन उनके शासन की खासियत थी। उन्होंने सैनिकों को रणनीति और युद्धकला में प्रशिक्षित किया। यही कारण था कि उनके सैन्य अभियान हमेशा सफल रहे।

प्रेरक संघर्ष और जीवन के सबक

शेरशाह सूरी का जीवन संघर्ष और वीरता का प्रतीक था। उन्होंने यह साबित किया कि कठिन परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी कठिन हों, अगर अंदर साहस और दृढ़ निश्चय हो, तो हर चुनौती पार की जा सकती है।

उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि:

  • साहस और आत्मविश्वास: कठिनाइयाँ चाहे कितनी भी बड़ी हों, डर से काम नहीं चलेगा।
  • बुद्धि और योजना: बल के साथ-साथ रणनीति और सोच जरूरी है।
  • न्याय और नेतृत्व: एक सच्चा नेता केवल ताकत से नहीं, बल्कि न्याय और नीति से महान बनता है।
  • दूरदर्शिता और सुधार: भविष्य को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेना समाज और राष्ट्र की भलाई के लिए आवश्यक है।

शेरशाह की अमर विरासत

1545 ईस्वी में शेरशाह सूरी का निधन हुआ। लेकिन उनका न्यायप्रिय शासन, प्रशासनिक सुधार, शिक्षा और सड़क निर्माण की योजना आज भी इतिहास में जीवित हैं। उनका जीवन आज भी हमें प्रेरित करता है कि कठिन परिस्थितियों में भी हार न मानें और अपने लक्ष्य की ओर लगातार बढ़ते रहें।

शेरशाह सूरी का जीवन यह दिखाता है कि व्यक्ति चाहे गरीब या कमजोर हो, साहस, बुद्धि और न्यायप्रियता के दम पर इतिहास रचा जा सकता है। यही कारण है कि हम आज भी शेरशाह को सिर्फ एक योद्धा नहीं, बल्कि एक आदर्श नेता और प्रेरक व्यक्तित्व के रूप में याद करते हैं।

👉 और अधिक Content के लिए यहाँ क्लिक करें 👇

No Comment
Add Comment
comment url
WhatsApp