सूरज यादव : संघर्ष से शिखर तक – डिलीवरी बॉय से डिप्टी कलेक्टर बनने तक की प्रेरक कहानी | बहुत ही प्रेरणादायक संघर्ष जिसे हर कोई सलाम करता है | ऐसा जज्बा और जिद मैंने कभी नहीं देखी | इसे कहते हैं - असली संघर्ष |

Post Update: अगस्त 22, 2025

🌟 संघर्ष से शिखर तक: सूरज यादव – डिलीवरी बॉय से डिप्टी कलेक्टर तक

सपनों को पूरा करने के लिए कभी आसान रास्ते नहीं मिलते। गरीबी, असफलता और संघर्ष जब कदम रोकने की कोशिश करते हैं, तभी इंसान का असली इरादा सामने आता है। झारखंड के सूरज यादव की कहानी इसी बात का प्रमाण है। कभी डिलीवरी बॉय की नौकरी करने वाले सूरज आज JPSC में 110वीं रैंक हासिल कर चुके हैं और अब वे डिप्टी कलेक्टर के पद पर कार्यभार संभालने जा रहे हैं। JPSC का पूरा नाम है – Jharkhand Public Service Commission (झारखंड लोक सेवा आयोग)।

🌿 साधारण परिवार, असाधारण सपना

सूरज यादव का जीवन किसी आम युवक की तरह शुरू हुआ। पढ़ाई पूरी करने के बाद वे कॉल सेंटर में नौकरी करने लगे। इसके साथ ही वे डिलीवरी बॉय के रूप में भी काम करते थे। घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी। लेकिन उनके मन में एक सपना पल रहा था – प्रशासनिक सेवा में जाकर लोगों की जिंदगी बदलने का।

🌿 पत्नी का साथ – संघर्ष की असली ताकत

शादी के बाद जब जिम्मेदारियाँ बढ़ीं, तब सूरज के सामने बड़ा सवाल खड़ा हुआ –

“क्या नौकरी करके घर चलाऊँ या JPSC की तैयारी करूँ?”

इस मुश्किल घड़ी में उनकी पत्नी पूनम ने जो जवाब दिया, वही सूरज की जिंदगी का मोड़ साबित हुआ –

“आप पढ़ाई कीजिए, खर्च की चिंता मत कीजिए।”

🌿 असफलता का दर्द, लेकिन हार नहीं मानी

साल 2022 में सूरज यादव ने JPSC परीक्षा दी। पूरी मेहनत के बावजूद वे मेंस परीक्षा में सिर्फ 7 अंकों से असफल रहे। यह क्षण किसी भी इंसान को तोड़ सकता था।

लेकिन इस बार भी पत्नी पूनम ने हिम्मत दी और कहा –

“सपना अधूरा नहीं छोड़ना है, एक बार और कोशिश करनी है।”

🌿 दोहरी जिम्मेदारी – नौकरी और तैयारी

ससुराल से आर्थिक मदद बंद हो गई थी। घर पर बेटा भी था, खर्चे भी बढ़ गए थे। ऐसी स्थिति में सूरज ने एक कठिन फैसला लिया – दिन में डिलीवरी बॉय और रैपीडो की नौकरी, और रात में पढ़ाई

🌿 मेहनत का रंग – मिली 110वीं रैंक

आखिरकार, वह दिन आ ही गया जब मेहनत ने रंग दिखाया। झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (JPSC) की परीक्षा में सूरज यादव ने 110वीं रैंक हासिल कर ली। अब वे डिप्टी कलेक्टर बनेंगे।

🌿 युवाओं के लिए सबक

  • सपनों को पाने के लिए संसाधन नहीं, इरादे चाहिए।
  • असफलता अंत नहीं होती, बल्कि नए प्रयास की शुरुआत होती है।
  • परिवार का सहयोग सफलता की सबसे बड़ी ताकत है।
  • संघर्ष भले लंबा हो, लेकिन उसका फल मीठा होता है।
हौसलों की उड़ान जब आसमान छू जाती है,
गरीबी भी तब हार मान जाती है।
जो थक कर भी सपनों को छोड़ते नहीं,
वही इतिहास में जगह बना जाते हैं।
👉 सूरज और पूनम की यह कहानी हर युवा के लिए प्रेरणा है कि
“अगर परिवार साथ हो और मेहनत निरंतर जारी रहे तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं।”

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